चलो रास्तों से भिड़ चलें
मेरी बात पत्रिका के (इसी अंक) कवर फोटो से शुरू होती है। आनदेख रहे हैं-खुले आसमान में नेक़ के नीचे , रोड किनारे कोई महिला किताबों-नलिकाओं की दुकान खोलकर बैठी हैं। मित्रो-यह चुनौती भरा काम करने वाली , दुस्साहसी महिला संजना तिवारी हैं। वे रोज अनके स्कूटर नऊ किताबें-नलिकाएं लादकर लातीं , दिन भर यहाँ उन…